Odisha’s Transformation in Food Security and Climate Resilience


प्रसंग: बढ़ते जलवायु संकट और खाद्य सुरक्षा पर इसके गंभीर प्रभावों का सामना करते हुए, ओडिशा की परिवर्तनकारी यात्रा आशा की एक किरण और दूसरों के अनुकरण के लिए एक मॉडल पेश करती है।

केस स्टडी: खाद्य सुरक्षा और जलवायु लचीलेपन में ओडिशा का परिवर्तन

कृषि परिवर्तन

  • कमी से अधिशेष तक: ओडिशा 2022 में चावल आयातक से रिकॉर्ड 13.6 मिलियन टन का उत्पादक बन गया।
  • छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाना: छोटे किसानों की आय और उत्पादकता पर ध्यान देने से दो दशकों में चावल की पैदावार तीन गुना हो गई। कालाहांडी, जिसे कभी “भूख की भूमि” कहा जाता था, राज्य का धान का कटोरा बन गया।
  • विविधीकरण और स्थिरता: कालिया और ओडिशा बाजरा मिशन जैसी योजनाओं ने धान पर निर्भरता कम करते हुए बाजरा जैसी जलवायु-लचीली फसलों को बढ़ावा दिया।

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लचीलापन और स्थिरता

  • सक्रिय कार्रवाई: ओडिशा ने एक व्यापक जलवायु परिवर्तन कार्य योजना अपनाई, जिसमें कृषि, तटीय संरक्षण, ऊर्जा और बहुत कुछ शामिल है।
  • नीचे से ऊपर का दृष्टिकोण: फसल मौसम निगरानी समूह और क्षेत्र का दौरा फसल स्वास्थ्य की निगरानी करता है और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान समय पर हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाता है।
  • जलवायु-स्मार्ट प्रथाएँ: किसान एकीकृत खेती, शून्य-इनपुट प्राकृतिक खेती और जल-बचत प्रौद्योगिकियों जैसी तकनीकों को अपना रहे हैं।

सामाजिक सुरक्षा

  • खाद्य सुरक्षा चैंपियन: ओडिशा भारत के चावल पूल में चौथा सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम रैंकिंग में शीर्ष पर रहा।
  • प्रगति के लिए साझेदारी: राज्य बायोमेट्रिक पीडीएस और चावल फोर्टिफिकेशन जैसे नवीन पायलटों पर संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ सहयोग करता है।

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