13 दिसंबर 2001 को, भारत को एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन का सामना करना पड़ा जब जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े आतंकवादियों ने भारतीय संसद परिसर, संसद भवन पर हमला किया। सुनियोजित हमले में पांच हमलावरों सहित 14 लोगों की जान चली गई।
का कालक्रम भारतीय संसद पर हमला
लगभग 11:30 बजे, भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने नई दिल्ली में संसद परिसर की सुरक्षा में सेंध लगा दी। सफेद एंबेसडर कार चलाते हुए, हमलावरों ने परिसर में घुसपैठ करने के लिए नकली वीआईपी कार्ड और लाल बत्ती का इस्तेमाल किया, और संसद को दिन भर के लिए स्थगित होने के केवल 40 मिनट बाद पहुंच गए। प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, विपक्ष की नेता सोनिया गांधी और अन्य प्रमुख लोग पहले ही निकल चुके थे, जबकि गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित लगभग 100 सांसद अंदर ही रहे।
आतंकवादियों का वाहन उपराष्ट्रपति के काफिले से टकरा गया, जिससे अनियोजित टकराव हुआ। आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच करीब एक घंटे तक भीषण गोलीबारी हुई। बदले में, सभी पांच आतंकवादियों को मार गिराया गया। दुखद रूप से, दिल्ली पुलिस के पांच कर्मियों, एक संसद सुरक्षा गार्ड और एक माली की जान चली गई, जबकि लगभग 22 अन्य घायल हो गए।
उल्लेखनीय रूप से, हमले की तीव्रता के बावजूद, सभी मंत्री और सांसद सुरक्षित बच गए। इस घटना को समाचार चैनलों द्वारा टेलीविजन पर सीधा प्रसारित किया गया, जिससे देश का ध्यान आकर्षित हुआ।
वर्ग | विवरण |
तिथि और समय | 13 दिसम्बर 2001; सुबह करीब 11:30 बजे |
सुरक्षा का उल्लंघन करना | – जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के भारी हथियारों से लैस आतंकवादी। नकली वीआईपी कार्ड और लाल बत्ती वाली सफेद एंबेसडर कार। |
प्रवेश | स्थगन के 40 मिनट बाद संसद परिसर में प्रवेश। |
प्रमुख हस्तियाँ प्रस्तुत हैं | – प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, विपक्ष की नेता सोनिया गांधी निकल चुके थे। – गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब 100 सांसद अंदर। |
आमना-सामना | आतंकियों की कार उपराष्ट्रपति के काफिले से टकरा गई. अनियोजित टकराव और भारी गोलीबारी. |
हमले की अवधि | लगभग 1 घंटा |
हताहतों की संख्या | पांच आतंकियों समेत 14 की मौत. दिल्ली पुलिस के पांच जवान, एक संसद सुरक्षा गार्ड और एक माली की मौत हो गई। करीब 22 लोग घायल. |
लक्ष्यों को | इसका उद्देश्य संसद भवन में घुसकर सांसदों और मंत्रियों पर हमला करना था। |
सुरक्षा कमजोरियाँ उजागर | इस घटना ने संसद परिसर में सुरक्षा की कमियों को उजागर किया। |
प्रसारण | समाचार चैनलों द्वारा सीधा प्रसारण किया गया। |
जांच | चार लोगों ने अफ़ज़ल गुरु, एसएआर गिलानी, शौकत हुसैन, नवजोत संधू की पहचान की |
कानूनी परिणाम | संधू को दोषी ठहराया गया और पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। शुरुआत में अफ़ज़ल गुरु, एसएआर गिलानी और शौकत हुसैन को मौत की सज़ा दी गई। गिलानी को बरी कर दिया गया; हुसैन की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। अफ़ज़ल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फाँसी दे दी गई। |
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव | तनावपूर्ण संबंध, सैन्य वृद्धि और क्षेत्रीय तनाव। पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर हमले की निंदा की लेकिन आतंकवादियों को पनाह देने के आरोप का सामना करना पड़ा। |
2001 संसद पर हमला
संसद हमले की 22वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक 22 साल पहले हुए दुस्साहसिक हमले में जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा किए गए इस हमले ने न केवल 9 व्यक्तियों की जान ले ली और 18 को घायल कर दिया, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के दिल पर भी प्रहार किया।
आतंकवादियों का प्रवेश: सुबह लगभग 11:40 बजे, लाल बत्ती और जाली गृह मंत्रालय के स्टिकर से सुसज्जित एक राजदूत कार में पांच आतंकवादी संसद भवन परिसर में दाखिल हुए।
संदिग्ध मुठभेड़: जैसे ही कार बिल्डिंग गेट नंबर 12 के पास पहुंची, संसद भवन वॉच एंड वार्ड स्टाफ के एक सदस्य को संदेह हुआ। उन्होंने कार को वापस मोड़ने के लिए मजबूर किया, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के वाहन से टक्कर हो गई।
हमले की शुरुआत: इसके बाद, आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे अलार्म बज गया। सभी बिल्डिंग के गेट तुरंत बंद कर दिए गए, जिससे गोलीबारी शुरू हो गई जो 30 मिनट से अधिक समय तक चली।
हताहत: बदले में, आठ सुरक्षाकर्मियों और एक माली सहित सभी पांच आतंकवादी मारे गए। लगभग 15 लोगों को चोटें आईं। सौभाग्य से, उस समय संसद में मौजूद 100 मंत्री और सांसद सुरक्षित रहे।
भारतीय संसद पर हमला: पाकिस्तान की भूमिका
लालकृष्ण आडवाणी के बयान: तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने स्पष्ट रूप से आतंकवादी हमले के लिए पाकिस्तान स्थित संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इन संगठनों को पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) से प्राप्त समर्थन और संरक्षण पर प्रकाश डाला।
जांच के निष्कर्ष: पुलिस जांच में पुष्टि हुई कि सभी पांच आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे। आत्मघाती दस्ते के हमले को लश्कर और जैश ने मिलकर अंजाम दिया था। बाद के दिनों में आतंकवादियों के भारतीय सहयोगियों को पकड़ लिया गया।
सरकारी पहल के बाद भारतीय संसद पर हमला
तटीय सुरक्षा: उच्च प्राथमिकता को देखते हुए, नौसेना, तट रक्षक और समुद्री पुलिस के सहयोग से तटीय सुरक्षा को काफी मजबूत किया गया। इसका उद्देश्य समुद्री मार्गों से घुसपैठ को रोकना था।
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए): जनवरी 2009 में, एनआईए को आतंकवादी अपराधों से निपटने के लिए एक विशेष एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था। यह आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच और मुकदमा चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (नैटग्रिड): सुरक्षा-संबंधी जानकारी का एक व्यापक डेटाबेस बनाने के लिए गठित, NATGRID विभिन्न खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के बीच प्रभावी जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी): देश की आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को मजबूत करते हुए, आतंकवादी हमलों के लिए त्वरित और विशेष प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए एनएसजी के लिए चार नए परिचालन केंद्र स्थापित किए गए।
- मल्टी-एजेंसी सेंटर (मैक): इंटेलिजेंस ब्यूरो के तहत काम करते हुए, कई एजेंसियों के बीच समन्वय और खुफिया जानकारी साझा करने को बढ़ाने के लिए एमएसी को मजबूत और विस्तारित किया गया था।
- संयुक्त संचालन केंद्र (JOC): नौसेना ने समुद्री सुरक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए, भारत की विस्तारित तटरेखा की सतर्क निगरानी के लिए एक JOC की स्थापना की।
आगे बढ़ने का रास्ता
इन उपायों के बावजूद, आतंकवाद एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है। आधुनिक परिशोधन और विकसित होती आतंकवादी पद्धतियों के साथ-साथ आतंकवाद की वैश्विक पहुंच के लिए तैयारियों के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। आगे बढ़ने के लिए प्रमुख रणनीतियों में शामिल हैं:
- स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस): ट्रैकिंग और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मछली पकड़ने वाली नौकाओं में एआईएस की स्थापना में तेजी लाएं।
- समुद्री पुलिस को सुदृढ़ बनाना: तटीय राज्यों को अपने समुद्री पुलिस बलों को मजबूत करना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे अच्छी तरह से सुसज्जित हैं और पर्याप्त कर्मचारी हैं।
- नियमित हवाई और तटीय समुद्री गश्त: हवाई और तटीय दोनों क्षेत्रों की निगरानी करने, अवैध गतिविधियों को रोकने और निगरानी बढ़ाने के लिए लगातार गश्त करें।
- कमान और नियंत्रण की एकता: विशाल तटीय क्षेत्रों को सुरक्षित करने की चुनौतियों को पहचानें और प्रभावी सुरक्षा के लिए एकीकृत कमान और नियंत्रण के महत्व पर जोर दें।
- सतत तैयारी: स्वीकार करें कि 26/11 जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की संभावना पर बहस चल रही है, लेकिन ऐसी संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज करना जल्दबाजी होगी। इसलिए, तैयारियों को बनाए रखना और और कड़ा करना आवश्यक है।
भारतीय संसद पर हमला यूपीएससी
2001 में 13 दिसंबर को हुआ भारतीय संसद हमला, नई दिल्ली की संसद पर एक आतंकवादी हमला था। गृह मंत्रालय के जाली स्टीकर वाली एंबेसेडर कार में सवार पांच हथियारबंद हमलावरों ने सुबह 11:40 बजे सुरक्षा में सेंध लगाई। हमले में छह दिल्ली पुलिस कर्मियों, दो संसद सुरक्षा सेवा कर्मियों और एक माली की जान चली गई, जबकि 13 सुरक्षा कर्मियों सहित 16 अन्य घायल हो गए। इस घटना का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जिसमें 2008 के प्रमुख मुंबई हमलों से इसका संबंध और कई अन्य हाई-प्रोफाइल घटनाओं में शामिल होना शामिल था।
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